मुख्यमंत्री की विधानसभा में भारी पेयजल किल्लत से जूझ रहे है ग्रामीण। लॉकडाउन में बच्चे ढो रहे पानी।

डोईवाला- प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोईवाला के केशव पुरी, राजीव नगर, कुड़कावाला, बुल्ला वाला, झबरावाला समेत नगरपालिका के कई क्षेत्रों में इन दिनों पानी का भारी संकट बना हुआ है जिस कारण लॉक डाउन के दौरान लोगों को कोरोनावायरस के साथ-साथ पानी के संकट से भी जूझना पड़ रहा है जिस कारण क्षेत्रवासी काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं ।


 


तो वही जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस रणनीति बनाने की बजाय सिर्फ खानापूर्ति तक ही सीमित है और बरसात का इंतजार कर रहे हैं।


 


 आज हम आपको बताने जा रहे हैं डोईवाला तहसील से मात्र 1 किलोमीटर दूर केशवपुरी और राजीव नगर बस्ती जहां पर लगभग 15000 की आबादी निवास करती है जिसमें से लगभग 3000 की आबादी इस समय पानी के गहरे संकट से जूझ रही है तो वहीं बाकी आबादी भी बहुत लो प्रेशर के पानी के कारण परेशानी में है इस बस्ती में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग अधिक रहते हैं जिस कारण घर में छोटे-छोटे बच्चों को ही पानी भरने के लिए पैदल हैंडपंप से पानी लाना पड़ता है तो वही पास ट्यूबवेल होने के बावजूद भी अधिकारी समुचित व्यवस्था बनाकर पानी की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं दे पा रहे हैं ।


 


विगत कई वर्षों से हर गर्मी में यहां पानी की भारी संकट बना होता है उसके बावजूद अधिकारी मात्र एक टैंकर आदि को भेजकर हजारों की आबादी के सामने ऊंट में के मुंह में जीरा के समान यहां पानी भेजकर सिर्फ खानापूर्ति का कार्य कर रहे हैं जिस कारण लोगों को भारी पीने के पानी के संकट से जूझना पड़ रहा है।तो टेंकर आने के बाद भीड़ में संक्रमण फैलने का खतरा तो है ही साथ लड़ाई झगड़े की नोबत भी आ जाती है।तो वहीं जहां सरकार कह रही है कि बच्चे व बुजुर्ग बाहर ना निकले लेकिन पानी की किल्लत की वजह से बच्चे और बुजुर्गों को ही पानी ढोने के लिए बाहर निकलना पड़ रहा है क्योंकि इनके मां-बाप दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए घर से चले जाते हैं


पूर्व पंचायत सदस्य भारत भूषण कौशल ने बताया कि जल संस्थान के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है पानी के बिल देने के बावजूद भी पानी नही आ रहा है। 6महीने से टयूबवेल खुद रखा है लेकिन मोटर न डालने के कारण पानी नही मिल पा रहा है।और न ही अधिकारी इस ओर ध्यान दे रहे है।


उन्होंने कहा कि अगर जल्द समस्या का समाधान नही किया जाता तो आंदोलन को बाध्य होना पड़ेगा।