भक्ति में क्रोध  बाधक है -  आचार्य ममगांई 

 
डोईवाला- श्रीमद्भागवत की रचना समस्त बेद पुराण लेखन के बाद असंतुस्ट मन को संतुष्ट करने हेतु ब्यास जी ने बदरी धाम में लिखा और शुकदेव जी को पढ़ाकर मूल में भक्ति ज्ञान बैराज्ञ की कथा रखीं भक्ति का मतलब कोई काम भगवान को मन में रखकर सफलता मिलती है कर्तब्य  का बोध होने को ज्ञान कहते हैं असक्ति रहित कर्म करने को बैराज्ञ  कहते हैं भक्ति क्रोध ज्ञान में के व बैराज्ञ में लोभ बाधक उक्त बिचार ज्योतिष पीठ ब्यास आचार्य श्री शिवप्रसाद ममगांई जी ने भनियवाला देहरादून में श्रीमद्भागवत में पंचम दिवस की कथा में ब्यक्त किये उन्होंने कहा बेद पुराण शास्त्र मनुष्य को अक्षर ज्ञान ही नही बल्कि के सभी मूल भूत यम नियम संयम सामान्य बिज्ञान व कर्तब्य बोध होता है संचित को प्रारब्ध कहते है जिसे हम भोग रहे हैं क्रिय माण कर्म नया प्रारब्ध बनके आता है इस लिए कर्म करते समय कोई इच्छा न रखते हुए जब  हम  कर्म करते हैं वह आगे बढ़ाने वाला होता हैं जो पिछले दिन किसी के उपकार को ‌न माने परोकर्ष असहाय हमारे जीवन पथकी  सबसे बाधा है अंतिम श्वास  तक कर्म  करते रहना चाहिए जरा सा भी जो समय क्षण की बरबादी  करता है वह सोचनीय ब्यक्ति है ज्ञान बिना मुक्ति नहीं मिलती जितना मनुष्य सुखी  उतना  भ्रमित व जितना दुखी उतना एकाकी होता है दुसरे की बुराईयो को सुनने वाला अज्ञानी है माता पिता से द्वेष रखने वाला धूंधकारी  जो शब्द स्पर्श रूप रस गंध रुपी पांच बैश्याऔ के चक्कर में जन्म मरण रुपी परेशानी में पणता है व सबका भला करने वाला ब्यक्ति  ही गौकर्ण है वहीं आज ब्यास जी के मुखारविंद से कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं के साथ भगवान की शिक्षा दिच्छा के साथ  गोपी गीत कि‌ सुंदर क्षांकी प्रस्तुत की गई आचार्य श्री भारद्वाज जी आचार्य श्री अशोक ममगांई आचार्य श्री महेश भट्ट आचार्य श्री द्वारिका नोटियाल जी आचार्य श्री हितेश पंथ श्री संदीप भट्ट श्री प्रकाश भट्ट श्री चन्द्र सिंह नेगी ,श्री अमरजीत सिंह नेगी , श्रीमती मोनिका नेगी ,  देवेन्द्र सिंह नेगी , तरुण नेगी, श्री प्रमेन्दर नगी, आशीष नेगी , श्री प्रदुम्न सिंह नेगी, सोनाली नेगी श्री नरेन्द्र सिंह नेगी, निहारीका नेगी, श्री धिरेन्द्र सिंह नेगी, श्रेया नेगी, जीतेंद्र सिंह नेगी, इशान नेगी,अजय सिंह चौहान , सीता चौहान जगदीश सिंह बिष्ट, संतोष बिष्ट, नवीन सिंह रावत , दलिप सिंह रावत आदि भक्त गण मौजूद थे।