डोईवाला-
15 दिवसीय छात्र अभिविन्यास एवं आयुर्विज्ञान कार्यशाला आयोजित।
हिमालयीय आयुर्वेदिक काॅलेज एवं हिमालयीय वि0वि0 में आयुर्विद्या आरम्भ संस्कार कार्यशाला।
भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वाधान में हिमालयीय आयुर्वेदिक काॅलेज एवं हिमालयीय विश्वविद्यालय में 15 दिवसीय आयुर्विद्या आरम्भ कार्यक्रम का आगाज हो गया। 15 दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में बीएएमएस प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को आर्युवेद सहित संबधित पाठ्यक्रम की जानकारी दी जा रही है।
इस दौरान छात्र-छात्राओं के मन में पाठ्यक्रम को लेकर उठ रही शंकाओं का भी समाधान किया जा रहा है। कार्यशाला में ऑनलाइन भी विभिन्न अन्य विश्वविद्यालयों के विषय विशेषज्ञों व संस्कृत के जानकारों द्वारा जानकारी दी जा रही है।
हिमालयी आयुर्वेदिक काॅलेज एवं अस्पताल में आयोजित आयुर्विद्या आरम्भ संस्कार कार्यक्रम का शुभारम्भ हिमालयीय विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 राकेश शाह, प्रतिकुलपति डाॅ0 राजेश नैथानी, कुलाधिपति प्रो0 डाॅ0 प्रदीप कुमार, प्राचार्य प्रो0 डाॅ0 अनिल झा व सचिव बालकृष्ण चमोली ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 राकेश शाह ने कहा कि आयुर्विद्या आरम्भ संस्कार कार्यक्रम का उद्देश्य प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम की जानकारी देने के अलावा उन्हें आर्यवेद चिकित्सा की जानकारी भी प्रदान करना है। कहा कि कार्यशाल के जरिए छात्र-छात्राओं को अलग-अलग विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
प्रतिकुलपति डाॅ0 राजेश नैथानी ने कहा कि इस कार्यशाला के जरिए छात्र-छात्राओं में पाठ्यक्रम को लेकर आत्मविश्वास बढ़ता और वे उनके मन मस्तिष्क में पाठ्यक्रम का खाका तैयार हो जाता है। जिससे वे अपने बेहतर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। प्राचार्य प्रो0 डाॅ0 अनिल झा ने कहा कि यह एक इन्ट्रडक्ट्री कार्यक्रम की तरह है जिसमें छात्र-छात्राओं को काॅलेज व अपने पाठ्यक्रम को जानने का अवसर मिलता है, साथ अलग-अलग विषय के विद्धानों के अनुभव और ज्ञान को भी प्राप्त करते हैं। कार्यशाला में संयोजक वि0वि0 कुलसचिव डाॅ0 निशांत जैन, कार्यक्रम समन्वयक प्रो0 नीरज कुमार श्रीवास्तव,कृति खण्डेलवाल, अंजलि शर्मा, प्रग्या कुमारी, अरूण यादव, सौरभ राज, विकास, सृष्टि, वर्षा, सिमरन, रिया आदि उपस्थित थे।
इंसेट-
आर्युवेद की उत्पत्ति व कार्यक्षेत्र की दी जा रही जानकारी-15 दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को भारतीय आर्युवेद का इतिहास व उसके कार्यक्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जा रही है। आर्युवेद विषय के विद्वान व चिकित्सकों की जीवनी व उनके किए गए कार्यों को भी छात्र-छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके अलावा आर्युवेद की विभिन्न चिकित्सा प्रणाली व आधुनिक उपचार के तरीके और उसमें हो रहे नए अनुसंधान की भी जानकारी दे रहे हैं।