महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती
वेदो के अद्वितीय भाष्यकार निर्भीक सन्यासी तथा सदाचार के दिशा वाहक थे।
समाज से छुआ छूत जाति प्रथा बहु विवाह प्रथा आदि बुराइयों को दूरकर मानवीय मूल्यों की सथापना पर बल दिया
देश को दुर्दशा पाखंड अनाचार से मुक्ति दिलाने पर बल और पुण: गौरवशाली तथा सदाचारी बनाने हेतू शंखनाद किया