उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जहरीली शराब कांड से हाहाकार मचा हुआ है और सरकार की चुप्पी लोगों के गले नहीं उतर रही है मुख्यमंत्री और राजभवन से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर और प्रदेश के तेजतर्रार विधायक गणेश जोशी के आवास के पास जहरीली शराब कांड से हुई 7 लोगों की मौत पर शहर कोतवाल और चौकी इंचार्ज समेत कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर सरकार अपनी कार्रवाई दिखा रही है लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री जिनके पास आबकारी का महकमा भी है और आबकारी महकमा जो शराब से संबंधित विभाग है उस पर मुख्यमंत्री द्वारा कोई कार्यवाही ना करना लोगों के गले नहीं उतर रहा है अभी कुछ माह पूर्व भी हरिद्वार के रुड़की में 42 लोगों की मौत उसके बाद टिहरी में 2 लोगों की मौत और अब देहरादून में 7 लोगों की मौत ने परदेस की जीरो टॉलरेंस सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है लोगों का कहना है कि प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री जो और मामलों में इतनी तेजी दिखाते हैं तो अवैध शराब के मामले में वह इतने चुप क्यों हैं क्या आखिर सरकार शराब को राजस्व की प्राप्ति मानते हुए लोगों की जान के साथ ऐसे ही खिलवाड़ करती रहेगी क्या सरकार अपना बड़ा दिल दिखाते हुए इस प्रदेश में शराब को पूर्णतया प्रतिबंध नहीं कर सकती उत्तराखंड सरकार इस प्रदेश को देवभूमि की जगह शराब भूमि बनाने पर तुली हुई है जिसका नतीजा यही है कितनी मौतें होने के बाद भी अभी तक इस प्रदेश में शराब पर प्रतिबंध नहीं लगा है आज जिस तरह से सैकड़ों की संख्या में राजधानी देहरादून में अवैध शराब पकड़ी जा रही है उससे यही लगता है कि बाहरी प्रदेशों से लोग आकर उत्तराखंड को शराब के लिए मनमाफिक जगह मान रहे हैं और सरकार और विभाग की चुप्पी उनके हौसले बुलंद कर रही है प्रदेश सरकार अगर अभी भी ना चेती तो आने वाला समय और बड़ी घटनाओं को निमंत्रण दे सकता है इस प्रदेश में जिस तरह से शराब के कारोबार को बढ़ावा दिया जा रहा है उससे इस क्षेत्र में क्राइम बढ़ना तय है जिससे कि पूरे देश में उत्तराखंड प्रदेश जो कि देवभूमि के नाम से जाना जाता है उसकी छवि धूमिल हो रही है
शराब पर क्यू चुप है त्रिवेंद्र सरकार